घर घर दीप जले
खुशियों के तीर चले
आशा , उमंग की बाती
संग खेले, आती पाती
फिर से वही रात आयी
एक नयी सौगात लायी
टिमटिमाती , खिलखिलाती,
लारियों की बरात लायी
नगर नगर, सजे हुए
हाट हाट, छने पुए
गली गली ,हुरदंग मची
मस्ती के भरे कुए
लो आ गयी दीपावली
अल्हड़ और बावली
लो आ गयी दीपावली
शर्मीली, सावरी
-सिद्धार्थ श्रीवास्तव
happy diwali sidhu......
ReplyDeleteThanx Bandeya
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