Sunday, June 30, 2019

फासले



फासले है बताते,
जीवन की सच्चाई को,
फासले है बताते हैं,
एक हसीं सी तन्हाई को,

ये दिलाते हैं याद,
की सब कुछ नहीं है मुमकिन,
सोंच और पहुंच के बीच,
कई पहेलियाँ है शामिल,

फसलों में छुपी होती हैं,
कभी उन्हें बढ़ाने की ख्वाहिश,
और कभी ये लातें हैं ,
ना मिल पाने की रंजिश ,

गुलिस्तां होते हुए ख्वाबों को,
फासले ही हवा देते है,
लुटती हुई क्यारियों को,
और लूट जाने की सजा देते हैं,

बड़े कम्बख्त हैं ज़ालिम ,
और बड़े नादान भी ,
साहब क्या बताएं,
गुलज़ार भी हैं और सुनसान भी,

पर फासले तो फासले हैं,
ना देंगे आराम, न देंगे फुर्सत,
फितरत में ही है इनकी,
ना मिट पाने की हसरत ,

डूबते हुए को तिनके का सहारा  ,
और कभी थके हुए को आराम नहीं,
पुरखे कह गए ठीक हमारे,
भागते हुए भूत की लंगोटी ही सही.

-सिद्धार्थ

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