Monday, April 27, 2020

नया वक़्त

वो वक़्त कुछ अजीब था ,
ये वक़्त कुछ अजीब है ,

कभी कभी लगता है ,
की मैंने  जो किया वो क्या किया ,
कभी कभी लगता है ,
की मैंने क्या पाया क्या दिया

पर खोना और पाना ,
ज़िन्दगी की दो शिकायतें हैं
रोना और गाना ,
हकीकत की दो इनायतें हैं

यहां से मैं अब निचे नहीं ,
अब ऊपर जाऊंगा ,
नया सवेरा लिखूंगा ,
नया बदलाव लाऊंगा

मुझे मालूम भी नहीं था
की कितना जरूरी हूँ मैं
हारने की कोशिश नहीं ,
जीत की मजबूरी हूँ मैं

















लिखूंगा इतिहास मैं ,
एक नए तरीके से ,
दिखाऊंगा एक नया आइना ,
कुछ गजब सलीके से

तोड़ दूंगा हर वो दीवार ,
जो खड़ी होंगी दरमियान
भेद दूंगा हर वो लक्ष्य ,
रचूंगा एक नया आशियाँ ,

मिल सको तो मिलो मुझमें ,
खिल सको तो खिलो मुझमें ,
जुड़ सको तो जुडो मुझमें ,
उड़ सको तो उड़ो मुझमें

यही  है  मेरी  फितरत
यही है मेरा अफसाना,
यही है  मेरी कश्मकश
ज़िन्दगी का ताना बाना


Friday, April 24, 2020

चल दिया मैं फिर कहीं

चल दिया मैं फिर कहीं
हवाओं के साथ
विश्वास है मन में नया
है हाथों में हाथ

नज़ारा है पुराना ये,
नया कुछ भी नहीं ,
निगाहें है नयी बस ,
ले जाए मुझे दूर कहीं

रुक गया तो थम गया
थम गया तो रुका कहाँ
वक़्त का पहिया घूमे पल पल
पता नहीं मैं झुका कहाँ

सुनता हूँ मैं कई आवाज़ें ,
कुछ बाहर  कुछ अंदर ,
बहता हूँ मैं पानी जैसा
कभी दरिया , कभी समंदर





















देखूं ख्वाब मैं घडी घडी ,
उगता सूरज चढ़ता जाये,
पुरानी कमान में तीर नया है,
युद्ध ये अर्जुन लड़ता जाये ,

दीवारें है चारो खाने,
पर रास्ता एक अदृश्य है ,
अरमानों ने जो दामन थामा ,
बदल रहा हर परिदृश्य है ,

बढ़ रहा हूँ मैं धीरे धीरे
पर बढ़ना जरूरी है,
ना सोचूँ तो पास है सब कुछ
सोचो तो सब कुछ दूरी है ,

रोक रहा हूँ धीरे धीरे ,
अब मैं कलम की रफ़्तार ,
देखोगे तो पाओगे तुम
यही जीवन का सार

-सिद्धार्थ 

मेरी कहानी

 एक शक्ति है अजीब सी ,  एक प्रकाश है गजब का ,  एक पुंज है अनंत सा,  ना शुरू, ना ही अंत सा,  हर समय, हर पल ,  एक नशा,  एक राह है अधूरी सी,  ल...