Sunday, July 12, 2020

ठोकर

जीवन एक सागर है,
सासें है एक नौका,
राहगीर है खेवैया ,
हर पल ढूंढें मौका,

लहरों पर डूबती उतराती,
चलती जाये हर पल,
अपनी मंजिल को पाने को ,
जलती जाये हर पल,

















आंधी और तूफ़ान है ,
बस इस सफर का हिस्सा ,
कभी है नाटक, कभी नौटंकी,
कभी कहकहा, कही किस्सा

संभल कर गिरना
और गिर कर संभलना,
ढल कर डूबना ,
और डूब कर ढलना

जीवन का यह सार है,
सीखा जिसने यही सत्य है ,
उसकी नौका पार है

-सिद्धार्थ 

Friday, July 3, 2020

कोशिश

ये ज़लज़ला है,
एक शख्त सा ,
ये फैसला है ,
वक़्त का

चल रहे हैं हर उस राह पर ,
जहाँ है फैली एक साजिश

जल रहे हैं उस राख पर ,
बूझती नहीं एक तपिश
रूकती नहीं , थकती नहीं ,
बस मजबूत होती कोशिश ,

मिट जाने का खौफ नहीं ,
अब ना है डूब जाने का है खतरा ,
होगा जो देखेंगे हम ,
कौन है रोके जतरा ,














तोपों  की सलामी से,
अब होगा स्वागत ,
बरसो की गुलामी से है,
निकलने की है चाहत ,

रुक ना सकूं अब मन के रोके से ,
झुक ना सकूं, अब हालातों के झोके से,

ए हवा तू मुझे पहचान ले ,
मेरा घर , मेरी मंजिल ,
सब का पता जान ले ,

क्योकि अब मैं,
चलता ही जाऊंगा ,
प्यार की हर क्यारी ,
और खुशियां तेरे दमन में तोर लाऊंगा

-सिद्धार्थ

मेरी कहानी

 एक शक्ति है अजीब सी ,  एक प्रकाश है गजब का ,  एक पुंज है अनंत सा,  ना शुरू, ना ही अंत सा,  हर समय, हर पल ,  एक नशा,  एक राह है अधूरी सी,  ल...