Sunday, July 12, 2020

ठोकर

जीवन एक सागर है,
सासें है एक नौका,
राहगीर है खेवैया ,
हर पल ढूंढें मौका,

लहरों पर डूबती उतराती,
चलती जाये हर पल,
अपनी मंजिल को पाने को ,
जलती जाये हर पल,

















आंधी और तूफ़ान है ,
बस इस सफर का हिस्सा ,
कभी है नाटक, कभी नौटंकी,
कभी कहकहा, कही किस्सा

संभल कर गिरना
और गिर कर संभलना,
ढल कर डूबना ,
और डूब कर ढलना

जीवन का यह सार है,
सीखा जिसने यही सत्य है ,
उसकी नौका पार है

-सिद्धार्थ 

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