Monday, April 27, 2020

नया वक़्त

वो वक़्त कुछ अजीब था ,
ये वक़्त कुछ अजीब है ,

कभी कभी लगता है ,
की मैंने  जो किया वो क्या किया ,
कभी कभी लगता है ,
की मैंने क्या पाया क्या दिया

पर खोना और पाना ,
ज़िन्दगी की दो शिकायतें हैं
रोना और गाना ,
हकीकत की दो इनायतें हैं

यहां से मैं अब निचे नहीं ,
अब ऊपर जाऊंगा ,
नया सवेरा लिखूंगा ,
नया बदलाव लाऊंगा

मुझे मालूम भी नहीं था
की कितना जरूरी हूँ मैं
हारने की कोशिश नहीं ,
जीत की मजबूरी हूँ मैं

















लिखूंगा इतिहास मैं ,
एक नए तरीके से ,
दिखाऊंगा एक नया आइना ,
कुछ गजब सलीके से

तोड़ दूंगा हर वो दीवार ,
जो खड़ी होंगी दरमियान
भेद दूंगा हर वो लक्ष्य ,
रचूंगा एक नया आशियाँ ,

मिल सको तो मिलो मुझमें ,
खिल सको तो खिलो मुझमें ,
जुड़ सको तो जुडो मुझमें ,
उड़ सको तो उड़ो मुझमें

यही  है  मेरी  फितरत
यही है मेरा अफसाना,
यही है  मेरी कश्मकश
ज़िन्दगी का ताना बाना


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